हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,प्रोफेसर डॉक्टर सोबान सईद जो ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय लखनऊ में फारसी विभाग के अध्यक्ष और कला एवं मानविकी संकाय के प्रोफेसर हैं उनकी सम्माननीय माता का निधन हो गया है।
इस अवसर पर मौलाना सैयद हुसैन मेंहदी जो ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय, लखनऊ के फारसी विभाग में शोधकर्ता हैं उन्होंने शोक व्यक्त करते हुए कहा,
माँ के निधन का समाचार सुनकर गहरा दुःख हुआ क्योंकि माँ' इस सृष्टि का वह पवित्र शब्द है जिससे प्रेम और ममता का अनुभव होता है। माँ का प्रेम दिखावे और छल-कपट से मुक्त होता है और उसका अस्तित्व स्वयं में एक अनमोल आशीर्वाद है।
माँ ही वह शख्सियत है जो सबसे पहले खुश होती है और सबसे अंत में नाराज़ होती है। वह उस समय भी संतान को देती है जब दूसरों से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। यही कारण है कि माँ का बिछड़ना जीवनभर का ऐसा दुख है जो कभी भुलाया नहीं जा सकता।
यह एक ऐसा रिश्ता है जो केवल प्रेम भावना दर्द, सहायता, निष्ठा, अपनापन, त्याग और बलिदान से भरा होता है। माँ को संतान से कुछ मिले या न मिले, लेकिन उसकी ममता और स्नेह में कभी कमी नहीं देखी जा सकती माँ हर घर और परिवार की सबसे अनमोल दौलत होती है।
शायद इसी कारण पैगंबर मोहम्मद स.ल.व. ने एक अवसर पर फरमाया थामाँ इतनी महान हस्ती है कि यदि मेरी माँ जीवित होती और मुझे पुकारती तो मैं अपनी नमाज़ छोड़कर पहले उनकी सेवा में उपस्थित होता।
एक अन्य अवसर पर उन्होंने फरमाया
माँ के क़दमों के नीचे जन्नत (स्वर्ग) है।
मैं बारगाहे ख़ुदा में दुआ करता हूँ कि अल्लाह तआला प्रोफेसर सोबान सईद साहब की दिवंगत माता के आख़िरत के तमाम मराहिल आसान करे। और इस दुखद घड़ी में परिवार वालों को सब्र अता करें।
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